आओ चलें जड़ो की ओर

दोस्तों भौतिक वाद की चकाचौंध में इंसानी आखों की चमक कही खो सी गई है हमारी जीवन शैली आधुनिक सुख सुविधा युक्त है हम अपने आहार विहार के लिए मशीनों पर निर्भर है आराम दायक जीवन हमारे शरीर को बीमार बना रहा है हम हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं लेकिन बचाने के लिए कोई कुछ नहीं कर ता है प्राचीन काल में धरती पर हर घर में लोग आम का पेड़ लगा ते उस पेड़ को संतान का दर्जा दिया जाता था नीम के पेड़ औषधीय गुणों से परिपूर्ण होता है जो हर घर के दरवाजे पर मिल जाता था लेकिन आज फैसन की दुनिया में लोग नागफनी का पौधा लगा ते है हमारी सबसे अनमोल धरोहर धरती को कंक्रीट के जंगल ने घेर लिया है पहले हमारे घरो के बाहर हरे भरे पेड़ फल दार छाया दार हुआ करते थे लेकिन दोस्तों आज स्थिति विकट है उन लहलहाते पेड़ों की जगह बोनसाई प्लान्टो ने ले ली है हमारी सभ्यता और संस्कृति खोखली हो जा रही है हमारे समाज में विद्वानों ने पुरानी परंपराओं को रुढ़िवाद का नाम दिया है लेकिन दोस्तों देखने समझ ने का नजरिया है हमारे पुराने रीति रिवाज हमारी धरोहर हैं अनुशासन में रहना सिखाते हैं ।रामायण काल को हम अपना आदर्श मानते हैं रामचरितमानस में लिखा है कि पिता की बचन को निभाने के लिए रामचंद्र वन में चले गए लेकिन आज का विकसित भौतिक वादी संतान अपने बूढ़े माँ-बाप को वृद्धाआश्रम में छोड़ आती है ए हम कैसा विकास कर रहे हैं जिसमें ममता और सम्मान की हत्या हो रही है जहाँ हमारे समाज के महापुरुषों ने पुरानी परंपराओं में सुधार कर सती प्रथा बाल विवाह जैसी कुरीतियों को दूर करने के लिए आँदोलन चला कर अपने अथक प्रयासो एक

स्वास्थ्य समाज का निर्माण किए वही बालिका भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा आज भी विकसित समाज में चल रही है हमारे विकास ने कोरोना जैसी महामारी को जन्म दिया कोरोना ने पूरे विश्व को जकड़ लिया न पैसा काम आया न विकास इसलिए पूरानी जीवन शैली ही स्वास्थ्य जीवन शैली है ।हमारे शास्त्रो में गाय को माँ का दर्जा दिया गया है उनकी पूजा करते हैं लेकिन आज लोगों मे देखा गया है की कुत्ते पालने शौक है दोस्तों कुत्ता बहुत ही प्यारा और वफ़ादार जानवर है लेकिन गाय इस जन्म में आपको अमृत रूपी दूध घी देती ही है उसकी सेवा करने से मिला पून्य अगले जनम में भी साथ नही छोड़ ता है कुछ पुरानी परंपराओं को अपनाने में नुकसान नहीं है बल्कि फायदा है ।

हमारे विकास में ऐसे प्राणघातक हथियार बनाने की होड़ सी लगी है उनमें से एक भी इस्तेमाल हुआ पृथ्वी पर जीवन की संभावना ही खत्म हो जाएगी तो हम ऐसा भौतिक विकास क्यों कर रहे हर देश मे समाज का कुछ भाग पिछड़ा रहता है उनके विकास के ध्यान देना चाहिए न हथियार बनाने मे हमारी पुरानी सवारी सायकिल रिश्ता बैल गाड़ी आदि को पुनर्जीवित करना चाहिए इससे पर्यावरण को आराम मिलेगा आयुर्वेद को विश्व स्तर पर जिंदा करना चाहिए

दोस्तों हमें कुछ पुरानी जीवन शैली को पुनर्जीवित करना चाहिए इससे जीवन की संभावना बढ़ जाएगी

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