आकाश गंगा

दोस्तों प्रकृति प्रभु का दिया खूब सूरत तोहफा है । लेकिन इंसान की सोच समझ और कार्यो ने प्रकृति के रूप को विगाड़ दिया है बस इसी पर मैने प्रकाश डालने की कोशिश की है कहानी काल्पनिक हैं और किरदार भी तो चलते हैं कहानी की तरफ

आकाश गंगा का सौंदर्य अनुपम था हरा भरा खेत खलिहान चारों तरफ ऊँचे, ऊँचे पहाड़ों से घिरा खूब सूरत गाँव । गाँव के उत्तरी पहाड़ी से निकली नदी सुधारा । सुधारा का पानी काफी मीठा और स्वच्छ था जिस पहाड़ से सुधारा निकलती है उस पहाड़ मे काफी जड़ी बूटियों के पेड़ थे जिससे नदी का पानी औषधीय गुणों के साथ था खेतों की सिंचाई से लेकर पीने का पानी भी औषधीय गुणों से लबालब था । गाँव के मुखिया पं रघुवीर शाश्त्री गाँव की स्कूल में हैडमास्टर थे उनकी पुस्तैनी हुकूमत थी गाँव पर शाश्त्री जी का प्यार पानी की तरह बरसता था गाँव के ऊपर गाँव लोग भी काफी सम्मान करते थे ।शाश्त्री जी की पत्नी का नाम मैना था मैना धार्मिक आस्था वाली औरत थी पूजा पाठ और गरीबो की भलाई में लगी रहती थी शाश्त्री जी गाँव वालों के हर सुख सुविधा का ख्याल रखते थे ।एक दिन मैना गाँव के मंदिर में पूजा अर्चना करने गईं थीं लौट कर आई तो उनका मन बहुत अशांत था क्योंकि उनकी कोई औलाद नहीं थी इसलिए उनका मन दुखी था शाश्त्री जी ने तो कभी अपना दुख नहीं जताया क्यों की वो आकाश गंगा को ही अपनी औलाद की तरह मानते थे और उसी के विकास और उन्नति के बारे में सोचते थे लेकिन मैना को अपने कुल और वंश की चिंता होने लगी थी और स्त्री जब माँ नहीं बनती तो उसका जीवन अधूरा सा लगने लगता है यही सब मैना महसूस कर रहीं थीं ।।

एक दिन मैना को बिचार आया तीर्थ यात्रा परजाने का तो शाश्त्री जी से बोली तो उन्होंने हाँ करदिया अब बसंत पंचमी का समय था शाश्त्री जी पत्नी के साथ तीर्थ यात्रा पर निकल पड़े दक्षिण में रामेश्वरम धाम दर्शन पूजा करने के बाद वही पर बैठे थे तभी वहां पर एक दम्पति और आ कर बैठ गए और आपस में बातें करने लगे धीरे धीरे शाश्त्री जी और मैना से बातचीत करने लगे और हाल चाल होने लगा बातों बातों में पता चला कि शाश्त्री जी की कोई औलाद नहीं है ।और जिस दम्पति से मैना और शाश्त्री जी की जान पहचान बढ़ रही थी वो दोनों ही पति पत्नी डाक्टर थे और एक बहुत बड़े अस्पताल में कार्यरत थे तो डाक्टर साहब ने शाश्त्री जी को चेकअप कराने की सलाह दी दोनों परिवार में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी शाश्त्री जी ने उनकी बात मान ली और तारीख फिक्स हो गई अब शाश्त्री जी गाँव आकर निश्चित दिन तारीख को मैना के साथ अस्पताल के लिए रवाना हो गए

अस्पताल पहुँचने के बाद डाक्टर जोशी ने दोनों पति पत्नी का चेकअप किया और जो समस्या थी उसका उपचार हुआ दो तीन दिन के बाद शाश्त्री जी गाँव लौट आए कुछ दिन के बाद शाश्त्री जी के घर जुड़वा संतानों ने जन्म लिया अब क्या था शाश्त्री जी के साथ पूरा गाँव खुशी से झूम उठा और खूब धूम धाम से बच्चों के जन्म की खुशियाँ मनाई जाने लगी डाक्टर जोशी उनकी पत्नी राशि अपने बेटे बहु के साथ आए समारोह में सामिल हुए बच्चों का नाम करण हुआ शाश्त्री जी ने बेटे का नाम आकाश और बेटी का नाम गंगा अपने गाँव के नाम पर रखा सब बहुत खुश थे उपहारों का आदान प्रदान हुआ सब लोगों ने खुशी खुशी भोजन ग्रहण किया और अपने घर लौट आये ।

डाक्टर साहब और उनकी पत्नी भी लौटने लगे लेकिन उनकी बहू ईला का मन रूकने का था तो वो अपने पति वियान के साथ रुक गई ईला और वियान भू गर्भ साइंटिस्ट थे दोनों ही साथ साथ काम करते थे ईला विदेशी थी और पहली बार इंडिया आई थी यहाँ के प्राकृतिक वातावरण से दूर शहर में रह गई थी और गाँव के लोग उसके बिदेशी होने के कारण उसको काफी सम्मान देते थे। ईला और वियान पहाडों पर चढ़ कर घूमे खेत खलिहान बाग बगीचे हर जगह घूमे और पहाड़ों की मिट्टी को खोद कर कुछ गहराई की मिट्टी को एक बोतल में, रख लिए उनहोंने कई जगह पर गहराई की मिट्टी को बोतलमें भर कर रख लिए और तीन दिन के बाद शाश्त्री जी इजाजत लेकर चले गए

देख ते देख ते समय गुजर गया हँसते खेलते आकाश गंगा भी डेढ़ साल के हो गए शाश्त्री जी ने गाँव की देख भाल में कोई कमी नहीं की सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त हसी खुशी जी रहे थे ।एक दिन गाँव में छ लोगों की एक टीम आई उसमें ईला और वियान भी थे दो और विदेशी थे दो भारत सरकार के सेवक उनकी सुरक्षा के लिए थे उन्होंने कुछ जगहों पर निसान लगा दिया और शाश्त्री जी से मिलने चले गये शाश्त्री जी को मालूम नहीं था कि ये लोग किस लिए आए हैं शाश्त्री जी ने सबको जलपान कराया उसके बाद आने का कारण पूछा तो उन्होंने भारत सरकार का एग्रीमेंट दिखाया अब शाश्त्री आ चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते थे उनका काम शुरू हो गया आकाश गंगा के तीनों पहाड़ों में अथाह सोने का भंडार था उन लोगों ने सोने की मात्रा की गलत रिपोर्ट बनाकर भारत सरकार को भेज दिया उन्हें खुदाई का आदेश मिल गया अब बड़ी बड़ी मशीनों से पहाड़ों की खुदाई शुरू हो गयी मशीनों के द्वारा हरे भरे खेतों को रौंद दिया गया फसल बर्बाद हो गई अंधाधुंध पेड़ों को काटा गया पहाड़ की मजबूत चट्टानों को ब्लास्टिग के द्वारा तोड़ा गया उसके बड़े बड़े टुकड़े हवा उड़ कर कई लोगों के ऊपर गिर गये जिससे उनकी मौत हो गई पहाड़ों की मिट्टी उड़ने लगी धूल का गुबार पूरे गांव में छा गया लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी लोग बीमार होने लगे इसी बीच आकाश गंगा दोनों की तबियत खराब हो गई बच्चों को उल्टी आ रही थी और सांस में तकलीफ होने लगी अब शाश्त्री जी बच्चों को लेकर शहर के अस्पताल में जाने लगे लेकिन रास्ता बुरी तरह से जाम था रास्तों पर बड़ी, बड़ी चट्टानें पेड़ और मिट्टी थी जिसे हटाना मुश्किल था बच्चों को डाक्टर के पास नहीं दिखाया जा सका शाश्त्री जी के बच्चों ने गोद में आख मूंद ली शाश्त्री जी की रूह चीत्कार उठी वो लग भग पागल से होगये मैना ने बच्चों का साथ नहीं छोड़ा उससे बच्चों का सदमा बर्दाश्त नहीं हुआ उनकी मॄत्यु हो गई गाँव में भी हाहाकार मच गया भोर का समय था लोग अपने अपने घरों सोए थे तभी अचानक से धरती हिलने लगी कंपन इतना तेज था कि लोग सम्हल नहीं पाए बहुत घर गिराने से लोगों की मौत हो गई क ई जगह से धरती फट गयी आकाश गंगा में तबाही मे तब्दील हो गया हसता खेल गाँव बर्बाद हो गया ये प्रकृति के साथ जो अन्याय हुआ उसका परिणाम था न आकाश रहा न गंगा और आकाश गंगा गाँव ।

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