जीवन में अनुशासन का महत्व

दोस्तों यह सृष्टि भी अनु शाशन के हिसाब से चलती है अनु शाशन का पालन प्रकृति भी करती है जैसे दि न मे सूरज निकलना, रात मे चाँद, तारे , ठंडी और गर्मी का होना तो इंसान को तो अनु शाशन का पालन करना ही चाहिए

जिस तरह से सृष्टि को चलाने के लिए प्रकृति रूपी पहरेदार बैठा है उसी तरह हमें सही दिशा देने के लिए हमे जीवन के मूल्यों को समझाने के लिए अनु शाशन ही पहरेदार होता है फिर चाहे हमारे घर में हो या हमारे वर्क प्लेस में हो जीवन के हर क्षेत्र में अनु शाशन का बहुत महत्व होता है घर में माता पिता होते है बाहर मे समाज कार्य क्षेत्र में उस काम को करवाने वाले ।

मनुष्य को जन्म के कुछ महीनों के बाद अनुशासित दिन चर्या का पालन करने की आदत डालनी शुरू हो जाती है उसके सोने जग ने नहाने खाने का समय फिक्स होता है समय का बिलकुल ध्यान रखा जाता है । अनु शाशन का महत्व जीवन की सफलता की कुंजी है दोस्तों अपने घरों में हमारे बुजुर्गों का स्वभाव थोड़ा सख्त होता है ताकी घर में अनु शाशन का पालन हो सके हमारे जीवन में माता पिता और घर के बड़े जब साथ होते है बहुत सारी चीजें ट्रैक पर होती है लेकिन जब यही बड़े लोग जब कही चले जाते है तो सोने जागने और खाने पीने का समय बदल जाता है हम लापरवाह हो जाते है

हमारी दिन चर्या अस्त व्यस्त हो जाती है हम आगे चल के ऐसी ही जीवन शैली अपना लेते हैं जो की नुकसान दायक है अनु शाशन का महत्व जीवन मे बहुत है अनु शाशन का पालन करने वाला व्यक्ति आज्ञाकारी होता है दोस्तों अनु शाशन दो तरह का होता है बाह्य अनु शाशन आत्मिक अनु शाशन

बाहरी अनु शाशन घर समाज के साथ इंसान सीखता है ।घर में माता पिता होते है उनके द्वारा घर परिवार को चलाने के लिए कुछ नियम बनाये जाते है और हमें उन नियमों का पालन करना होता है । नियम ही अनु शाशन है ए नियम नियंत्रण रहना सिखाता है और इंसान सफलता प्राप्त करता है

आत्मिक अनु शाशन जीवन का वह पहलू है जो विद्यार्थी जीवन काल में ही सीखता है एक अच्छे विद्यार्थी के आत्मिक अनु शाशन के फलस्वरूप उसके अंदर गुण ,शील , संकोच, दया ,करूणा ज्ञान पिपासा जैसी भावनाओं का विकास होता है दोस्तों जिस तरह से बाहरी अनु शाशन के लिए नियंत्रण जरूरी है होता है उसी तरह से आत्मिक अनु शाशन के लिए संयम जरूरी होता ।संयम की नीव विद्यार्थी जीवन काल में ही पड़ जाती है ।संयम की नीव जितनी मजबूत होगी व्यक्ति का व्यक्ति का व्यक्तित्व उतना प्रबल होगा ।

अनु शाशन का पालन न करने के दुष्परिणाम दोस्तों अनु शाशन का पालन न करने के दुष्परिणाम बहुत ही भयानक और अमानवीय होते हैं प्रकृति के अनुशासन का उल्लंघन जिस तरीके से हो रहा है उसका परिणाम हमारे सामने है विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाए सुनामी , भूकंप जगह जगह बादल फटना, पहाड़ों का स्खलन तरह-तरह की बीमारी अदि। तो कहीं न कहीं प्रकृति के नियमों का उल्लंघन ही है पेड़ों की अंधाधुंध कटाई , पहाड़ों की खुदाई ए सब अनु शाशन की अवहेलना है जो और भी भयावह स्थिति को जन्म देगा ।उसी प्रकार हमारे घर और समाज में और कानून ने जो नियम बनाये है उसका हमारे जीवन को चलाने के लिए है कुछ घर परिवार को चलाने के लिए है समाज और कुछ देश के लिए है हमारे समाज में जहाँ अनु शाशन का पालन नहीं किया जाता है वहां जन्म लेती है बुराइया चाहे चोरी करना , रेप , करना किसी को जान से मार देना इससे समाज को क्या मिलेगा अनु शाशन हीन समाज कमजोर हो ता है समाज से देश तो अपने देश की ताकत बनिए कमजोरी नहीं

अनु शाशन के नियमों में परिवर्तन दोस्तों अनु शाशन के उन नियमों में परिवर्तन करना चाहिए जो समय की मांग हो समय के साथ परिवर्तन ही विकास का आधार होता है जिन नियमों में विकास और समृद्धि ,सुरक्षा नहीं होती है उस अनु शाशन के नियमों का पालन करना कठिन होता है इस लिए परिवर्तन भी जरूरी होता है

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