बिंदिया की बिंदिया
बिंदिया ओ बिंदिया कहा हो ।राहुल लगभग चीखता हुआ घर में प्रवेश करता है एक बार फिर उसी सुर में आवाज़ लगाता है बिंदिया ओ बिंदिया कहा हो । राहुल की तेज आवाज से बिंदिया को गुस्सा आ गया ,रसोई से पैर पटकती हुई आई और बोली कहा होउंगी रसोईमें हूँ इसके अलावा और कौन सा शाही आराम खाना बनवा रखा है मेरे लिए ।बताओ क्यों बिंदिया रहे हो लगानी है क्या बिंदिया ने कहते हुए मुस्कुरा दिया ऐसा इसलिए था क्योंकि राहुल को लाख गुस्सा आ जाए लेकिन उसे ठंडा करने के लिए बिंदिया की डिम्पल वाली मुस्कान ही काफी थी लेकिन उस दिन ऐसा नहीं हुआ राहुल बोला मजाक के मूड में नहीं हूँ बिंदिया की एक आदत थी हर दिन बिन्दी बदलने की और वह निकली हुई बिन्दी घर के अंदर दरवाजे पर खिड़की पर सोफे के आस-पास के एरिया में बेड में बाथरूम में सीसे पर यहाँ तक कि किचन में भी

बिंदिया को बड़ी बड़ी रंग बिरंगी बिन्दी लगाने का बहुत शौक था राहुल बिंदिया की शादी को सात साल हो चुके थे लेकिन उनके रिश्ता नए-नवेले कपल जैसा था राहुल को बिंदिया से बहुत प्यार था जब कभी भी राहुल बिंदिया की बिन्दी दरवाजे पर खिड़की से निकाल ता तो एक रोमांटिक गीत गाता मेरी बिंदिया रे कि हाय हाय तेरी बिंदिया रे और गाना सुन के खुश हो जाती लेकिन उस दिन ऐसा नहीं हुआ राहुल आफिस गया तो हर कोई राहुल को अजीब नजर से देखा और हसी उड़ाई ,राहुल से जब रहा नहीं गया तो वाश रूम में जाकर दर्पण में देखा तो माजरा समझ में आया राहुल की कोट के दाएं कलर पर बिन्दी चिपकी हुई थी यह देख कर राहुल को सब समझ में आया तो राहुल ने सोचा कि आज बिंदिया को डाट लगाएगा राहुल ने घर आकर बिंदिया से बोला तुमने घर के हर जगह बिन्दी लगा कर रखी हो घर में जगह नहीं बची थी जो मेरी कोट पर लगाने लगी । बिंदिया बोली तो क्या हुआ हटा दो राहुल ने चिढ़ कर कहा आज आफिस में सबने मेंरा मजाक उड़ाया और न जाने क्या-क्या सोचते होंगे राहुल की बात सुन कर बिंदिया को हसी आ गयी हँसते हुए उसने राहुल से कहा कि मेरी बिंदिया तो लिपटे गी चिपकेगी आप की हसी उड़ती है तो उड़ जाए और खिलखिला कर राहुल के गले में लिपट गयी राहुल ने भी उसे गले लगा लिया