भावनाओं की कीमत

नमस्कार दोस्तों आज एक ऐसी कहानी आप लोगों को बताती हूँ जो सुन कर आखों में आंसू आ गए दोस्तों आज के इस दौर में लोग एक अंधी दौड़ में शामिल है वह दौड़ है भौतिक वाद भौतिक सुख सुविधाओं के लिए इंसान भावनाओ को भूल गया है सब लोग अपने अपने ऐश आराम के लिए कब किसे नुकसान पहुंचा देगा कह नहीं सकते आज टापिक कुछ ऐसा ही है उम्मीद है इस स्टोरी से लोगों को कुछ सीख मिले

सुबह की चाय हाथ में लिए नायर जी बाल्कनी में खड़े होकर धूप ले रहे थे वही उनकी छः साल की बेटी निधि खेल रही थी आज संडे था इसलिए कोई जल्दी नहीं थी नायर जी की इकलौती संतान निधि बड़ी ही चंचल थी उस की आंखो में शरारत मासूम चेहरा देख कर लोगों का दिन बन जाता था पूरे सोसाइटी में बच्चे तो और भी थे लेकिन निधि सबसे अलग थी ।या यू कह लीजिये कि सबकी जान थी वो नायर जी और उनकी पत्नी रीमा को शादी के काफी टाइम के बाद निधि का जन्म हुआ था काफी यही वजह थी की नायर जी निधि को बहुत चाहते थे निधि को नहलाने खिलाने से लेकर स्कूल छोड़ने का काम नायर जी करते थे नायर जी एक सरकारी अधिकारी थे उनका रौब आसपास के रहने वाले लोगों पर भी था किसी की मजाल नहीं थी कि कोई गलती करके निकल जाए और नायर जी का लम्बा-चौड़ा भाषण न सुनना पड़े नायर जी अपने सिद्धांतों पर चलने वाले लोगों में से थे सबको समझाना सब की मदद करना उनका स्वभाव था एक अच्छे इंसान के सारे गुण थे उनके पास

घर में सुख सुविधा की कोई कमी नहीं थी दीपावली का समय था और नायर जी का मन हुआ नई कार लेने का तो उन्होंने रीमा जी से राय ली उन्होंने हाँ करदिया अब नायर जी दीपावली के एक दिन पहले जाकर कार ले आए जिस दिन कार आई उसदिन निधि के कुंमकुम लगे पैरो से कार का वेलकम किया गया जोर दार पार्टी हुई सब अठारह लाख की कार को देख कर मुस्कुराते मेरी कार तेरी कार की तुलना करते और चले जाते

दोस्तों आप ने कार आने की खुशी में पार्टी की अब आगे रीमा जी अपनी सहेलियों के साथ मुस्कुराते हुए पार्टी को इनज्वाय कर रही थी धीरे-धीरे पार्टी खत्म हुई और लोग भी अपने अपने घर लौट गए अब सब लोग थक कर सो गये सुबह उठकर नायर जी नहा धोकर रेडी हुए और आफिस निकल गये शाम को घर लौटने पर उन्होंने देखा कि कार पर हल्का डस्ट है तो कार को धोने चले गये सेम्पू पानी से कर को धोने लगे शाम।के पाँच बजे थे निधि भी खेलने के लिए बाहर जा रही थी चमचमाती कार देख कर उसका बाल मन चंचल हो उठता है और वही पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा कर कार की बाडी पर बड़ा सा हार्ट बनाकर उसमें कुछ लिखती है फिर इसके बाद उसके साथ जो हुआ उससे लोगों की रूह चीत्कार उठी और निधि की जिंदगी हमेशा हमेशा के लिए बदल गयी हुआ यू की नायर जी निधि को कार पर स्क्रेच करते देखा तो आग बबूला हो गये उन्होंने निधि के हाथ को इतनी जोर से मरोड़ा की उसके हाथ की अँगूठे और कलाई समेत कई हड्डियां एक साथ टूट गयी पत्थर पर गिराने की वजह से सर भी फट गया निधि दिल दहला देने वाली चीख के साथ बेहोश हो गई उस की चीख सुन कर पास पड़ोस के लोग दौड़ पड़े किसी को कुछ समझ नहीं आ या लेकिन सर का खून देख कर लोगों को लगा की निधि गिर गयी है आनन् फानन में लोग उसे हास्पीटल लेकर भागे नायर जी बुत की तरह खड़े रीमा जी ने आकर झकझोरा तो उनको एहसास हुआ कि उन्होंने ने ए क्या कर दिया रीमा जी ने कहा आपने ए क्या कर दिया चलिए जल्दी मेरी बेटी का बचना मुश्किल है नायर जी फर्श पर फैले खून को देख कर डर गये कही रीमा जी की बात सच ना हो जाए और हास्पीटल भागे

हास्पीटल पहुँच कर पता चला सर ही नहीं निधि की कलाई भी टूटी हुई है डाक्टर कह रहे हैं की हाथ की कई हड्डियां खराब हो गई है आपरेशन करना पड़ेगा निधि छोटी है इसलिए अभी उस का हाथ बढ़ेगा इसलिए स्टील के राड और नट नहीं लगा सकते चिंता की बात है कि अगर हाथ की हड्डी निकाली नहीं गयी तो सड़न पैदा हो जाएगी बाहर से बड़े डाक्टर की टीम आइ सबने डिसाइड किया पेपर पर साइन हुआ और आपरेशन टीम निधि को लेकर आपरेशन थियेटर में चले गए नौ घंटे चले आपरेशन में निधि का दाहिना हाथ आधा काट दिया क्यों की सर की इनजुरी डाक्टरों का बाहर से आना इन सब में चार दिन लग गए दरमसाई और फटी हड्डी में इन्फेक्शन फैल गया था नायर जी अपराध बोध के साथ चार दिन बाद घर आ ए उनहोंने जाकर देखा की आखिर निधि ने लिखा क्या था तो देखा की बड़ा सा हार्ट बनाकर उसमें आइ लव यू डैड लिखा था

अभी तक आप ने पढ़ा कि निधि का दाहिना हाथ आधा काट दिया गया है उस के पापा नायर जी घर आ कर कार के पास जाकर देखा की आखिर निधि ने लिखा क्या था तो देखा की बड़ा सा हार्ट बनाकर उसमें आइ लव यू डैड लिखा था अब आगे ।

कार पर निधि ने जो शब्द ह्रदय से निकाल कर लिखा था यह उस की भावना थी लेकिन नायर जी को समझ नहीं आ या उन्होंने ने निधि के लिखे शब्दों को पढ़कर अपना सर और कलेजा पीटने लगे उनके सीने में भयानक दर्द होने लगा नायर जी आत्म ग्लानि से भर गये वह न रो पा रहेथे नाही कुछ कह पा रहे थे वो अपनी बेटी घ तकलीफ़ को महसूस कर तड़प रहे थे हास्पीटल में जब निधि को होस आता है तो वो अपने हाथ को टटोलती है और नर्स से पूछा की क्या हुआ उस अबोध को ए समझ में नहीं आया कि वह जीवन भर के लिए अपाहिज हो गई नायर जी एकबार भी निधि के सामने नहीं गये निधि बुलातीतो मना कर देते सात दिन बाद डिस्चार्ज हो कर निधि घर आई अब निधि को देख ने पास पड़ोस के लोग और रिश्ते दार घर आने लगे जो भी आता बस नायर जी को भला बुरा कहता और निकल लेता निधि इन सबसे परेशान हो गई उसे लगता कि उसके पापा सब डांट रहे हैं एक दिन लता अंटी आई और नायर जी को भला बुरा कहने लगी नायर जी कोई जबाब नहीं दिए निधि लड़ पड़ी अंटी से पापा के लिए निधि बोलतीं है अंटी आप ऐसे मेरे पापा को नहीं डांट सकती और दौड़ कर अपना बायाँ हाथ पापा के गले में डालते हुए लिपट गयी नायर जी निधि को गले लगा कर फूट फूट कर रो पड़े देख ते देख ते डेढ़ महीने बीत गए अब निधि की पट्टी पूरी तरह से निकाल दी गयी अभी तक उसे लग रहा था कि मेरा हाथ ठीक हो जाएगा हाथ काटने वाली बात डाक्टरों ने नहीं बताने के लिए कहा था क्योंकि डाक्टरों को लग रहा था कि निधि को बताने पर आपरेशन की रिकवरी में फर्क पड़ेगा वह मानसिक रूप से कैसे रिएक्ट करती है किसी को पता नहीं था । लेकिन अब घाव पूरी तरह से ठीक होगया है निधि के हाथ की पट्टियाँ हटा दी गयी है लेकिन निधि के पैरों तले जमीन खिसक गई हैरान परेशान हो कर माँ से पूछा की मा पापा ने मुझे मारा ए तो समझ गयी लेकिन मै अब कार पर नहीं लिखती मेंरा हाथ क्यों कटवा दिए आई एम सोरी पापा मेरा हाथ दिलवा दीजिये दिलवा दीजिए कहकर रोने लगी फिर माँ ने समझाया पापा ने समझाया कि वह एक एक्सीडेंट था लेकिन निधि को यह याद था कि पापा ने मारा था वह मानने के लिए तैयार नहीं थी और यही सच्चाई भी थी

निधि का रोना कम या यू कह लीजिये कि बंद नहीं हो रहा था निधि बेहोशी की हालत में हो गई डाक्टर ने इंजेक्शन दे कर सुला दिया गया लेकिन निधि कि हालत ठीक नहीं थी अब बाल काउंसिलर मीणा मुराठी आई और निधि को उनकी निगरानी में दो दिन के लिए छोड़ दिया है

मीणा मुराठी के साथ निधि को रखा गया है ।अब आगे निधि नींद से जाग चुकी है और मीणा जी बड़े प्यार से अपना परिचय आ और निधि को बात करते करते बाहर गार्डेन में लेकर आई और निधि के साथ खेलने लगी मीणा जी ने अपने लैपटॉप पर निधि को निधि की तरह बच्चों की हसती खेलती नार्मल फोटो दिखाते हुए निधि को समझाती है हाथ कटने से कुछ नहीं हुआ यह एक एक्सीडेंट था थोड़ी देर के लिए निधि मान भी गई दो दिन बाद डिस्चार्ज हो कर निधि घर आई तो पापा को देख कर फिर बेहोश हो गई वह एक्सेप्ट नहीं कर पा रही थी अपने पापा से बुरी तरह से डरी हुई थी यह देख कर नायर जी का मन बहुत अशांत हो गया वह सोच रहे थे कि हर कदम सम्हल कर चलने वाले से ऐसी गलती कैसे हो गई कभी गुस्सा न करने वाले इंसान को उस दिन इतना गुस्सा कैसे आ गया इधर निधि धीरे धीरे ठीक हो रही थी लेकिन वह न ही पापा के पास जाती और न उनसे बात करती नायर जी काफी बुझे बुझे से रहते थे ऐसे ही डेढ़ साल के दिन निकल गये एक दिन नायर जी के पैरों तले जैसे जमीन खिसक गई निधि ने माँ से कहा कि वह अनाथ आश्रम में रहना चाहती है

निधि कीमाँ रीमा जी आवाक रह गई बेटी की बातें सुन उन्हें समझ में नहीं आया कि निधि को कैसे समझाऊँ क्या कहूँ क्यों की वो जानती थी कि निधि ठीक नहीं है उस के साथ बहुत बड़ा अन्याय होगया है वो कुछ बोल नहीं पाई बुत की तरह खामोश खड़ी रही लेकिन नायर जी हिम्मत करके निधि को समझाने की कोशिश की लेकिन निधि ने न उनसे बात की और न ही उनकी बात सुनी उन्होंने यह भी कहा कि अगर जाना ही है हॉस्टल में जाओ यह सुन कर निधि ने कहा कि मुझे लेवल लेकर नहीं जाना

निधि की बातें सुन कर ऐसा लगता की निधि समझदार होगई है लेकिन निधि के निर्णय को किसी ने बदल न सका अंतमे उसकी बात मान कर उसे अनाथ आश्रम में भेज दिया गया लेकिन यह सब रीमा के लिए बहुत भयानक था वह बेटी के बिना नहीं रह पा रही है और जो उस के साथ हुआ वह बदल भी नहीं पा रही दिन प्रतिदिन रीमा जी का स्वास्थ्य खराब रहने लगा इधर निधि का मन भी वहां के माहौल में लगने लगा पहले फोन आया करता था दो दिन कभी तीन दिन पर फ निधि माँ से बात करती थी लेकिन धीरे-धीरे फोन हफ़्ते में एक बार आने लगा फिर वो भी बंद हो गया रीमा जी की ममता तड़प उठी लेकिन कुछ बदलने वाला नहीं था अब निधिकी माँ पूरी तरह से डिप्रेशन का शिकार चुकी है निधि के मन के डर ने अब नफ़रत में बदल गया है और वह किसी से मिलना नहीं चाहती है ।नायर जी भी काफी अस्वस्थ रहने लगे हैं कभी पत्नी को सम्हलते है कभी फूट फूट कर रोते हैं यही उन लोगों की दिनचर्या हो गई है तीनों लोग जिंदगी को ढो रहे हैं जी कोई नहीं रहा द एन्ड ??

दोस्तों इस कहानी का एन्ड दुख द है लेकिन सोचने वाली बात है कि भौतिक संसाधनों की दौड़ में शामिल होकर इंसान की सोच बदल जाती है । इंसान का दिमाग ए तय नहीं कर पाता है कि कौन सी चीज इस्तेमाल करने के लिए है कौन प्यार निधि को अपनी फीलिंग जताने की इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी काश नायर जी ने कार सा ज्यादा महत्व अपनी बेटी को देते उनकी महंगी कार पर एक स्क्रेच ही तो पड़ा था क्या निधि से कीमती कार थी निधि क्या कोई वस्तु तो नहीं थी लेकिन कार चमक और झूठी शान में सब बर्बाद हो गया दोस्तों ए कहानी आप लोगों को कैसी लगी कॄपया अपनी प्रक्रिया जरूर दे ??

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