हम सब अपनी ज़िन्दगी में सेवा भाव रखते है और किसी न किसी रूप में अपनी सेवा देते है | चाहे वो पैसा कमाने के बदले अपनी नौकरी के तहत हो या किसी अन्य क्षेत्र में | हकीकत में सेवा दो तरह की होती है ..एक वह सेवा जिसमे हम बदले में कुछ पाने की इच्छा होती है । एक प्राणी मात्र की सेवा जिसमें पाने की इच्छा नहीं होती बस एक जुनून होता है मनुष्य यह सोचता है की भगवान को खुश करने के लिए उनकी मूर्ति को दूध से नहला दूँ प्रभु खुश हो जाएगा ऐसा नहीं है ।

दोस्तों अगर आप भगवान की मूर्ति को दूध से नहलाते है तो रूक जाएँ क्या पता इसी दूध से भूख से तड़प कर मरने वाले की जान बचाने का सौभाग्य आप को मिल जाय यही सच्ची सेवा है आप किसी पार्टी में जा रहे हैं और बूढ़ी दादी रस्ते में दवाई की पर्ची लेकर अपने कमजोर पैरो से पैदल जा रही है तो आप थोड़ा रूक कर उनकी दवाई लादे कोई प्रेग्नेंट महिला बस मे खड़ी है तो आप उन्हें अपनी शीट दे दे वैसे इसे शिष्टाचार कहते है ।लेकिन मदद हुई न दोस्तों आप को इन सेवाओ से तत्काल कुछ नहीं मिलेगा लेकिन जिस दिन मिलेगा आप को यकीन नहीं होगा उसकी साइज इतनी बड़ी होगी क्यो की वो आपके द्वारा की गयी नेकी का फल है ब्लड बैंक के सामने बदहवास सा कोई दिख जाए तो एकबार जरूर पूछ लीजियेगा उसकी परेशानी क्या है क्या पता आप को सेवा करने का मौका मिल जाए ।दोस्तों जब आप के साथ अचानक से कुछ अच्छा हो जाय तो । समझिए कि भगवान आप से खुश है।
दोस्तों आप बुजुर्गों की सेवा करे ।हम आप को वृद्धाआश्रम खोले ऐसा नहीं कहरह हैं बुजुर्गों से मतलब हमारे माँ बाप से है उनकी सेवा करे कुछ घरों में हमने देखा है कि कई लोग माँ बाप को साथ तो रखते हैं खानाभी खिलाते हैं ।लेकिन जलती हुई नजरों से उन्हें देखना हर समय माँ बाप को उनकी लाचारी का अहसास कराना ऐसा देखा गया है होंगे आप समाज की नजर में श्रवण कुमार लेकिन परमात्मा आप को कभी भी माफ नहीं करेगा और आपकी औलादभी सीख रही आपका तौर तरीका इसलिए माँ बाप को खुशी दे आँसू नहीं उनके आशीर्वाद से आप की उन्नति होगी
दोस्तों अगर आप इस लेख की गहराई को समझ गए होंगे तो इस देश में एक भी आश्रम नहीं होगा
You are Right ????
Good work