वक़्त की पाठशाला

दोस्तो पाठशाला शब्द सुनते ही सबको अपने अपने बचपन की याद आ जाती है छोटे छोटे किताबो के बस्ते सुबह सुबह स्कूल जाना ढेर सारी मस्ती करना सब याद आने लगता है यह सोच कर लगता है काश हम छोटे छोटे ही रहते लेकिन बड़ा होने की समझ अलग होती है हम हमारे घरों से किताबी ज्ञान सीखने लगते उसमें संस्कार भी सामिल है बड़ो को प्रणाम छोटे को प्यार जैसी चीजें हमें सिखायी जाती है हम स्कूल में आते हैं पढ़ाई करते हुए बहुत कुछ सीखते है लेकिन दोस्तों हम बात करते हैं एक और पाठशाला की जिसका नाम है समय ,वक़्त कुछ भी कह सकते हैं जिसके अध्यापक है अनुभव। हम वक़्त केसाथ जो अनुभव हमे मिलता है वह बहुत कुछ सीखा जाता है दोस्तों हमने जीवन में कितनी ही परीक्षा दे चाहे नौकरी के लिए हो डिग्री हासिल करने के लिए हमें बस किताब में पढ़ कर अपनी तैयारी करनी होती है लेकिन दोस्तों जब वक़्त की पाठशाला में क्लास लगती है तो बड़े बड़े की हवा निकल जाती है लेकिन रिजल्ट अच्छा आए या बुरा लेकिन उसके साथ आता है अनुभव जो हमारे साथ हर पल रहता है जिसके हिसाब से हम अपना भला बुरा समझ सकते हैं । अक्सर लोग कहते है कि अभी नहीं जब ठोकर लगेगी तब समझ में आएगा थोडा अजीब सा सुन कर लगता है पर सही बात कही है गलती तो हर इंसान से होती है लेकिन गलती करके जो इंसान ए न सोचे की हमसे गलती क्यों हुई वो इंसान

कभी सफल नहीं हो ता है क्योंकि उसे पता नहीं होता की गलती हुई है कहा हुइ वो सीख नहीं पाता है लेकिन समय के साथ जो समझ आती है वो कोई डिग्री कोई स्कूल कोई गुरू नहीं सिखाता पाता इसलिए दोस्तों वक़्त की पाठशाला बहुत बड़ी है उसमें सबका दाखिला हो जाता है परीक्षाए भी बहुत होती है इसकी डिग्री भी बहुत बड़ी है जिसे अनुभव कहते हैं जो व्यक्ति इमानदारी से वक़्त की क्लास करता है उसका परिणाम औरों की अपेक्षा अधिक अच्छा होता है दोस्तों वक़्त की पाठशाला का पहला चेप्टर है गलती करके उसे दोहराए न उससे सीख ले अच्छा इंसान बने तो दोस्तों यह रही समय की पाठशाला यहाँ हर घड़ी चेप्टर बदल जाती है और हमें पढ़ना चाहिए क्योंकि वक़्त सबसे बड़ा गुरू होता है 

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