दोस्तों मन व्यथित सा हो जाता है यह जान कर की हमारे आस-पास झूठ की ऐसी दीवारें खड़ी है जिन्हें न हम गिरा सकते है न बदल सकते हैं बस मूक दर्शक बने देख ते रहना है हम बात कर रहे हैं अपने देश की न्यायिक व्यवस्था की सपथ समारोहों की जहा पर हमारे धार्मिक ग्रंथों का सम्मान केसाथ अपमानित किया जाता है गीता पर हाथ रख कर कसम खाते हैं की फलां ,,,,,,,,,,,,फलाना गवाह के रूप में प्रस्तुत किया गया गवाह आकर झूठ बोलेगा या सत्य हमें पता ही…
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