शिव को कैसे चढ़ाए बेल पत्र

। ओम् नमः शिवाय दोस्तों सावन का पवित्र महीना चल रहा है शिव भक्तों का पावन दिन होता है घरेलू पूजा के अलावा शिव ज्योतिर्लिंगों के दर्शन और कांवर चढ़ा ने की श्रद्धा बढ़ जाती है शिव जी की भक्ति में लीन भक्त समुदाय शिव को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के जतन भी करते हैं शिव जी को चढ़ाई जाने वाली सामग्रियों में बहुत ही प्रिय बेल पत्र है

दोस्तों हमारे शाश्त्रो मे चार प्रकार के बेल पत्र का वर्णन है हमारे आस-पास सामान्यतः तीन पाती वाला ही बेल पत्र मिल ता है जिसे ब्रह्मा विष्णु महेश का प्रतीक माना जाता है ।चार प्रकार के बेल पत्र मे बिल्वाष्टक मे अखंड बेल पत्र की व्याख्या की गई है तीन पाती वाला बेल पत्र 6पत्ती से 21पत्ती वाला बेल पत्र पाया जाता है और श्वेत बेल पत्र भी पाया जाता ।सबकालग अलग आध्यात्मिक महत्व होता है

शिव को बेल पत्र चढ़ा ते समय ध्यान देना चाहिए की बेल पत्र का चिकना भाग शिव को स्पर्श करना चाहिए चढ़ा ते स मय सीधे हाथ के अंगूठे और तर्जनी उंगली का प्रयोग करना चाहिए बिल् व पत्र को च ढाते समय बिषम संख्या का भी ध्यान देना चाहिए अगर एक ही पत्ती का उपयोग करना है तो बेल पत्र को धोकर उपयोग किया जाता है बेल पत्र के साथ जल की धारा अवश्य गिराए खाली बेल पत्र कभी नहीं चढ़ाए

तीन पत्री बिल्व पत्र

का आध्यात्मिक महत्व

तीन पत्री बिल्व पत्र के महत्व का वर्णन भी बिल्वाष्टक में किया गया है जो इस प्रकार है- ‘‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम् त्रिजन्म पाप सहारं एक बिल्वपत्रं शिवार्पणम’’ यह तीन गणों से युक्त होने के कारण भगवान शिव को प्रिय है। और इसे ब्रह्मा विष्णु महेश का प्रतीक माना जाता है इसके साथ यदि एक फूल धतूरे का चढ़ा दिया जाए, तो फलों में बहुत वृद्धि होती है।

अखंड बिल्व पत्र का आध्यात्मिक महत्व

अखंड बेल पत्र का वर्णन बिल्वाष्टक में इस प्रकार है – ‘‘अखंड बिल्व पत्रं नंदकेश्वरे सिद्धर्थ लक्ष्मी’’। यह अपने आप में लक्ष्मी सिद्ध है। एकमुखी रुद्राक्ष के समान ही इसका अपना विशेष महत्व है। यह वास्तुदोष का निवारण भी करता है। इसे अनाज के भंडार में रखकर नित्य पूजन करने से व्यापार में चैमुखी उन्नति होती है

21पत्ती बेल पत्र

इक्कीस पत्री बिल्व पत्र मुख्य रूप से नेपाल में पाए जाते हैं। पर भारत में भी कहीं-कहीं मिलते हैं। जिस तरह रुद्राक्ष कई मुखों वाले होते हैं उसी तरह बिल्व पत्र भी कई पत्तियों वाले होते हैं। इस बेल पत्र का विषेश महत्व है

सफेद बेल पत्र आध्यात्मिक महत्व

जिस तरह सफेद सांप, सफेद मोर , सफेद दूर्वा आदि होते हैं उसी तरह सफेद बिल्वपत्र भी होता है। यह प्रकृति की अनमोल देन है। इस बिल्व पत्र के पूरे पेड़ पर श्वेत पत्ते पाए जाते हैं। इसमें हरी पत्तियां नहीं होतीं। इन्हें भगवान शंकर को अर्पित करने का विशेष महत्व है।

बेल वृक्ष की उत्पत्ति

बेल वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में ‘स्कंदपुराण’ में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, माँ तना में माता महेश्वरी, शाखाओं में देवी दक्षयायनी, पत्तियों में माता पार्वती , फूलों में माँ गौरी और फलों में माँ कात्यायनी वास करती हैं इसे देवी वृक्ष भी कहते है

श्रीमद् देवी भागवत में स्पष्ट वर्णन है कि जो मनुष्य माता

भगवती के चरणों मे बिल्व पत्र अर्पित करता है वह कभी भी किसी भी परिस्थिति में दुखी नहीं होता। उसे हर तरह की सिद्धि प्राप्त होती है और कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और वह भगवान भोले नाथ का प्रिय भक्त हो जाता है। उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति

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One Thought to “शिव को कैसे चढ़ाए बेल पत्र”

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