सखियों का सावन माँ की बलैइया भाभी की मनुहार भाई बहन की ठिठोली मन को पुलकित करने लगता है ऐसा लगता है जैसे खुशियों के पर लग गए हैं घरों में हरदिन पर्व जैसा माहौल रहता है लेकिन क्या किसी ने उस खुश नुमा माहौल में ए नोटिस किया है अधिकांश औरतें अपने सिंगार में हरा रंग का इस्तेमाल करती हैं
आइये बात करते हैं की सावन के महीने में हरी चूड़ी का महत्व
अखंड सौभाग्य का प्रतीक
हरा रंग खुशहाली प्रगति और सम्पन्नता का प्रतीक है हमारे हिन्दू धर्म में हरे रंग को धार्मिक दृष्टि कोड़ से देखा जाता है परन्तु इस का महत्व सावन माह में बढ़ जाता है कहते सावन में माता पार्वती ने शिव को प्रसन्न करने के लिए हरे पत्तों से सिंगार किया था तो सावन तो मन भावन है शिव जी का इसलिए
सुहागन स्त्री याँ शिव जी और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए हरी चूड़ियों और हरे वस्त्र पहनी है ताकि माता पार्वती से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं
हरा रंग सम्पन्नता सुख शांति का प्रतीक माना जाता है
विष्णु जी भी खुश हो जाते हैं हरा रंग खुशहाली और प्रकृति का रंग है जो प्राकृतिक वैभव को दर्शाता है
सिंगार और सौंदर्य
वास्तविक रूप से देखा जाए तो सिंगार और सौंदर्य एक दूसरे के पूरक हैं और ए दोनों शब्द एक दूसरे के बिना अधूरे से हैं
सौंदर्य अनुपम होता है किसी चीज का मुहताज नहीं है लेकिन सिंगार के बिना पूरा भी नही सावन का महीना आते पीहर के मिट्टी की महक अपनी ओर खीचने लगती है जब सब सखी सहेली बहन भाभियाँ इकट्ठा होती हैं सुरू होता है सजने सँवरने का शिल शिला सावन का पूरा महीना हर्ष उल्लास और त्यौहार का होता है और सुहागन स्त्रियां हरे साजो सामान से अपने सौंदर्य को सजाती है अपने रित रिवाजों की छटा विखेरती शिव जी को प्रसन्न करने के लिए माता पार्वती को सिंगार की सामग्री अर्पित की जाती हैं सज धज कर अपने अखंड सौभाग्य की कामना भगवान शिव पार्वती से करती है जिस तरह प्रकृति हरियाली से अपनी सम्पन्नता पूर्णता दर्शाती है उसी प्रकार सुहागन स्त्रियां हरे रंग को धारण कर अपने को प्रकृति के साथ जुड़े होने का संदेश देती है
बुध ग्रह
हरे रंग के स्वामी बुध ग्रह है जो बुद्धि विवेक चातुर्य और गुणों के लिए जाने जाते हैं हरा धारण करने से बुध ग्रह प्रसन्न हो ते है
जिससे पढ़ने लिखने मे कुशल ता प्राप्त होती है और कैरियर सबंधी रास्ता खुलता है
दोस्तों अब ऐसा नहीं है कि हमने हरा रंग धारण करने को कह दिया तो पढ़ने के बजाय हरी पोषाक पहनकर बैठ जाएँ फल उसी को मिलता है जो कर्म करता है
दो
दोस्तों सावन महीने में हरी चीजो का महत्व जीवन में कर्मशील बनाते हैं समय और प्रकृति के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है परस्पर सौहार्द की भावना केसाथ हम हमारे संस्कृति और रिति रिलीजो को सम्मान के साथ जिंदा रखना है
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?धन्यवाद?
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