दोस्तों मुझे लगता है कि एहसास मर रहा है ऐसा लगता है की किसी को किसी से मतलब नहीं एहसास मर चुका भावनाएँ थक गई है बस इंसान काम की मशीन बन गया बस का म से मतलब नही तो कोई नहीं बहुत ईर्ष्या और द्वेष झूठ फँसा मनुष्य दया का पात्र बनता जा रहा है क्षमा करूणा त्याग आदर सम्मान प्रेम कही नजर नहीं आता नजर आते हैं स्वार्थ जैसे इंसान का एहसास ही मर गया हो
दोस्तो इंसान का मन बहुत ही चंचल होता है हर-पल कुछ न कुछ चलता रहता है चाहे इंसान सुख में हो या दुख में हो
सोच अच्छी हो या बुरी हो लेकिन ए हमारा मन कुछ न कुछ सोचता रहता है किसी भी सोच के पीछे जिम्मेदार है एहसास एहसास कई तरह का होता है अच्छे बुरे का एहसास सही गलत का भूख का एहसास भय का एहसास नींद का एहसास दोस्तों यह एहसास बड़े कमाल की चीज है हम उसे देख नहीं सकते लेकिन है एहसास के गुलाम मान लीजिए कि आप को भूख का एहसास हुआ या यूँ कहें कि आप को भूख लगी लेकिन आप को भूख दिखाई नहीं देगी लेकिन एहसास आप को खाना खिलाएगा खाने के बाद भूख शांत हो जाएगी उसके बाद हमारे मन को जो सुकून मिलता है वही खुशी है दोस्तों मन और एहसास एक सिक्के के दो पहलू है दोस्तों एहसास की सीमा अनन्त है इसका अंत नहीं है इंसान एक दिन मर जाता है लेकिन उसका एहसास जिंदा रहता है सायद मेरी बात आप लोगों को समझ न आई हो मेरे कहने का मतलब इंसान है तो होने का एहसास नहीं है तो न होने का एहसास माना न होने का एहसास ठहर जाता है लेकिन पीछा नहीं छूट ता समय-समय पर सुई की तरह चुभता रहता है कुछ एहसास हमें सुकून से भर देते है और कुछ जीवन पर्यंत हमें दर्द देते है मानव समाज में रिश्ते नाते सबसे ज्यादा दर्द देने का सामर्थ्य रखते हैं हम एक परिवार में बहुत सारे रिश्ते लेकर जन्म लेते हैं लेकिन उन्ही रिश्तों को निभाने में पीछे रह जाते आज के इस दौर में एहसास मरता जा रहा है ऐसा लगता है की हमारे आस-पास पत्थर की मूर्ति या रहती हैं किसी को किसी की भावनाओं की कद्र नहीं पर वाह नहीं यह सोच कर र मन द्रवित हो जाता है सोचने को मजबूर होजाता है कि हम कौन सा रास्ता पकड़ कर चल रहे हैं पहले घर में माता पिता होते दादा दादी होते भरापुरा परिवार होता लेकिन आज की पीढ़ी को पता नहीं है कि परिवार एक सिक्योरिटी ।है एक छाँव है अब ऐसा लगता है हर तरफ लालच अपने आप को साबित करने की होड़ एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ दिखावे की खोखली जिंदगी में एहसास जिंदा कैसे रहे गा किसी के पास दूसरे को समझने का वक़्त नहीं है माता पिता बच्चों को मेड के सहारे छोड़ कर दिन भर के लिए नौकरी पर चलेजाएगे तो माता पिता और बच्चे के बीच वह प्यार का एहसास नहीं होता है एसी कमजोर पथरीली मिट्टी में काँट की उगेगा फलफूल नही
अगर कोई पडोसी के घर या रिश्ते में कोई बीमार है परेशान हैं तो आपको इसका एहसास होना चाहिए की आप इस परेशानी मे उसकी मदद कैसे करे इंसान को मानवता एहसास को जिंदा रखना चाहिए नहीं तो दिसा हीन मान व समाज गर्त मे चला जाएगा बस पत्थर के पुतले रह जाएँ