प्रश्न नारद का

पर हित सरस धर्म नहीं भाई ।पर पीड़ा सम ही अधमाई ।। दोस्तों इस लाइन का अर्थ है ।दूसरों की भलाई करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है और दूसरों को पीड़ा पहुंचाने से बड़ा कोई अधर्म नहीँ है यानी अपने जीवन को जीने के लिए किसी को कष्ट नहीं देना चाहिए निस्वार्थ भाव से प्राणी और समाज के हितार्थ कार्य करना चाहिए दोस्तों आज मैं आपको सबको नारद जी का एक प्रश्न बताते हैं जो अपने पिता ब्रह्मा जी से करते नारद जी एकबार भ्रमण करते करते पाताल लोक…

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